त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग कथा हिंदी में Trimbakeshwar jyotirlinga History and Story in Hindi

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त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग कथा हिंदी में
ज्योतिर्लिंग के नो पोस्ट को आगे बढ़ाते हुए आज हम आठवीं ज्योतिर्लिंग त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में बताएंगे यह नासिक जिले में स्थित है यह ज्योतिर्लिंग नासिक के त्र्यंबक नामक स्थान ब्रह्मगिरि नामक पर्वत के पास स्थित है एक बार यहां कई वर्षों से बारिश नहीं हो रही थी सभी लोग यहां से पलायन करने लगे इस समस्या के समाधान के लिए महर्षि नौटंकी सब करके वरुण को प्रसन्न किया था वरुण देव ने गौतम जी को यह घटना खोलने को कहां वरुण देव ने उसे दिव्य जल से भर दिया इस दिल में जल के कारण वहां हरियाली फिर से आ गई और जो लोग पलायन कर गए थे वह पुणे अपने स्थान पर आ गए कार महर्षि गौतम जी की बड़ी प्रशंसा हुई इसी तरह एक दिन गौतम ऋषि के पुत्र उस गड्ढे से जल लेने गए तथा अन्य अन्य ऋषियो की पत्नियां भी वहां आ गई और वह भी पहले जल लेने का हठ करने लगी गुरु माता अहिल्या ने सबको समझाया की यह नन्हे बालक पहले से यहां उपस्थित थे तो इन्हें पहले जन्म लेने दिया जाए तू इस बात से नाराज ऋषि पत्नियों को लगा की मां अहिल्या उनका पक्ष ले रही है इस दिव्य जल की व्यवस्था उनके पति महर्षि गौतम ने जो कराई है यही बात मुन्नी पत्नियों ने अपने पतियों को बढ़ा चढ़ाकर बताया इस बात से नाराज उन मुनियों ने गौतम ऋषि से बदला लेने के लिए भगवान गणेश जी की पूजा आरंभ की गणेश जी के प्रकट होने पर गौतम ऋषि को अपमानित करने के लिए भगवान से सहायता करने के लिए कहा इस पर भगवान श्री गणेश जी ने अनुरोध पूर्वक कहा कि ऐसी मुनि के साथ दुर्व्यवहार रखना उचित बात नहीं जिसने अपने तब से इस देश में जल की व्यवस्था करा कर सभी को जीवनदान दिया परंतु ऋषियो की हट करने पर गणेश भगवान जी ने उनकी आज्ञा मान ली साथ ही साथ यह चेतावनी भी दी इसका परिणाम ठीक नहीं होगा इसके कुछ दिनों के बाद भगवान गणेश एक दुर्बल गाय के रूप में गौतम ऋषि के धान के खेत में पहुंचे यह देख गौतम ऋषि ने उस गाय को अपने पास बुलाया और उसे अपने हाथ से खिलाने लगे स्थान के तिनके का स्पर्श होते ही तुरंत धरती पर गिर पड़ी और उसकी मृत्यु हो गई ब्राम्हण और उनकी दुष्ट पत्नियां पास ही छिपे हुए थे गाय के मरते ही सब बाहर निकल आएं और उनपर गौ हत्या का पाप मढ़ कर उन्हें ठीक करने लगे और कहने लगे जब तक तुम यहां रहोगे तब तक अग्निदेव और पितृ गण हमारा हवन स्वीकार नहीं करेंगे अरे गौ हत्यारी हत्यारे तुम परिवार सहित यहां से दूर चले जाओ गौतम ऋषि त्रयंबक से दूर एक आश्रम बनाकर रहने लगे परंतु यहां भी ब्राम्हण उन्हें परेशान करने लगे तथा उन्हें यज्ञ आदि कर्म करने से भी रोकने लगे तब गौतम ऋषि ने गौ हत्या शुद्धि के लिए उनसे प्रार्थना की इस पर सभी ब्राह्मणों ने कहा कि अगर तुम अपने पाप को प्रकट करते हुए तीन बार पृथ्वी की परिक्रमा करते हो फिर लौट कर यहां 1 महीने तक व्रत करते हो और उसके बाद ब्रह्मगिरि पर्वत की एक सौ बार परिक्रमा करते हो तो उसके बाद भी तुम्हारी शुद्धि होगी या यहां गंगा जी को लाकर उन्हीं के जल से स्नान कर 1 करोड़ पार्थिव लिंग बनाकर महादेव की आराधना करो फिर से गंगा में स्नान करके ब्रह्मगिरि पर्वत की 11 परिक्रमा करो और 100 घढ़ो के जल से पार्थिव शिवलिंग की स्नान कराने पर ही तुम्हारा उद्धार होगा ब्राह्मणों ने जैसा कहा गौतम ऋषि ने वैसा ही किया साथ ही गौतम ऋषि की पत्नी ने उनके इस तपस्या में उनका साथ दिया उनकी आराधना से प्रसन्न होकर भगवान शिव उनके सामने प्रकट हुए और उनसे वर मांगने को कहा गौतम ऋषि ने निष्पाप होने का वर मांगा भगवान शिव ने कहा मुनि तुम सदा ही निष्पाप हो उन दुष्टों ने तुम्हारे साथ छल किया है तुम गंगा की तरह पवित्र हो उन पापियों का कभी उद्धार नहीं होगा गौतम आश्चर्यचकित होकर बोले अगर की ऋषियों ने ऐसा नहीं किया होता तुम मुझे आप के दर्शन भी नहीं होते महादेव अगर आप प्रसन्न है तो मुझे मां गंगा प्रदान कीजिए शिव जी ने गंगा देवी को पुणे धरती पर अवतरित होने को कहा मां गंगा ने कहा मैं यहां तभी उतरूगी जब भगवान शिव अपने परिवार के साथ लिंग रूप में बात करेंगे तथा सभी देवतागण भी यहां वास करेंगे इस पर महादेव ने तथास्तु कहा और कहा जब जब बृहस्पति देव सिंह राशि में प्रवेश करेंगे तब सभी देवगढ़ यहां आएंगे इसी प्रकार मां गंगा वहां गोदावरी रूप में विख्यात हुई और भगवान शिव की ज्योतिर्लिंग त्रयंबकेश्वर नाम से प्रसिद्ध हुई।


                                                     ॐ हर हर महादेव जय महाकाल ॐ 
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