How To Get Success In Life || सिद्ध संत ने कहानी सुना के बताया कैसे मिलती है सफलता || Inspirational Story

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अगर आप बार बार कोशिश करने के बाद भी सफल नहीं हो पा रहे है, आप बहुत ज्यादा हताश और निराश हो गए है और अब आपकी हिम्मत टूट गई है तो ये कहानी आपको जरूर सुननी चाहिए।अधिकतर लोग लगातार असफलता मिलने से हताश हो जाते हैं, जबकि कुछ लोग निराश नहीं होते, आगे बढ़ते रहते हैं और अंत में उन्हें सफलता मिल जाती है।

इस संबंध में एक कहानी खासा लोकप्रिय है। कहानी कुछ इस प्रकार है की एक गाँव में एक व्यक्ति रहता था वह बहुत ही मेहनती और कर्तव्यनिष्ठ था लेकिन उसके लाख कोशिशों और मेहनत के बाद भी उसे सफलता नहीं मिल रही थी अब वो बहुत ही ज्यादा हतास और निराश हो गया था बार बार मिल रही असफलता से वह इतना परेशान हो गया था की उसके मन में विचार आने लगा था की वो सब कुछ छोड़ के कही चला जाये, तभी उसे ध्यान आता है की उसके गांव में एक सिद्ध संत आये हुए है क्यों ना एक बार उनसे कुछ बात की जाये इस बारे में, तो वो संत के पास चला गया और वहा जाके उसने उन्हें अपनी सारी परेशानियां बताई।

संत बहुत विद्वान थे। उन्होंने उस व्यक्ति की सारी बातें सुनी। संत ने कहा कि इस तरह निराश नहीं होना चाहिए। प्रयास बंद मत करो। ये बात सुनकर व्यक्ति बोला कि मैं अब हार चुका हूं।मैंने हर तरह से कोशिश कर ली लेकिन मुझे हर बार असफलता ही मिलती है वो अभी बोल ही रहा था की संत ने उसके सर पे हाथ फेरते हुए बोले की मै तुम्हे एक कहानी सुनाता हु हो सकता है की ये कहानी सुन के तुम्हारी निराशा दूर हो जाएगी। संत ने कहानी सुनाना शुरू किया, किसी गांव में एक छोटे बच्चे ने बांस का और नागफनी का पौधा लगाया। बच्चा रोज दोनों पौधों की बराबर देखभाल करता था ऐसी तरह कुछ महीने बीत जाते है। बच्चा पूरी लगन के साथ दोनों पौधों की बराबर देखभाल करता था फिर कुछ दिनों के बाद वो देखता है की नागफनी का पौधा पहले से दुगुनी लम्बाई का हो गया है लेकिन बांस का पौधा जस का तस है वो एक इंच भी नहीं बड़ा होता है लेकिन फिर भी वह दोनों पौधा की बराबर देखभाल करता रहा कुछ महीने और बीते नागफनी का पौधा अब और बड़ा हो गया था लेकिन बांस का पौधा अभी भी वैसे ही था लेकिन उस बच्चे ने फिर भी हर नहीं मानी वो अभी भी दोनों पैधो की वैसे ही देखभाल करता था जैसे वो पहले करता था फिर एक दी वो देखता है की बांस का पौधा सिर्फ एक दिन में ही नागफनी के पौधे के बारबर हो गया है और अगले दिन उससे भी बड़ा उसके अगले दिन और भी बड़ा हो जाता है ऐसे ही देखते देखते चंद दिनों में बांस का पौधा इतना बड़ा हो जाता है की उसके सामने नागफनी का पौधा मानो ऐसा दिखाई पड़ता जैसे हाथी के सामने चींटी फिर।…….. संत ने उस व्यक्ति से कहा कि बांस का पौधा इतने दिन पहले अपनी जड़ें मजबूत कर रहा था, इसीलिए उसे बहार दिखाई पड़ने में थोड़ा समय लगा। फिर जब उसकी जड़ें मजबूत हो गई तो बढ़ता ही गया ।

हमारे जीवन में जब भी संघर्ष आए असफलता आये तो हमें अपनी जड़ें मजबूत करनी चाहिए,न की हमें निराश और हतास होके हिम्मत हरनी चाहिए । जैसे ही हमारी जड़ें मजूबत हो जाएंगी, हम तेजी से लक्ष्य की ओर बढ़ने लगेंगे। तब तक अगर हम धैर्य बनाये रखे और हताश न हो तो सफलता हमारे कदम चूमेगी ।संत की एक बात सुन के उस व्यक्ति को सारी बात समझ आ गई अब वह फिर से अपने लक्ष्य को पाने के लिए तैयार हो जाता है।

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