Men Are from Mars, Women Are from Venus मेन आर फ्रॉम मार्स विमेन आर फ्रॉम वीनस

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Men Are from Mars, Women Are from Venus

Men Are from Mars, Women Are from Venus

मेन आर फ़्रम मार्स विमेन आर फ़्रम वीनस 

वह सब कुछ जो पुरुष महिलाओं के बारे में जानना चाहते हैं और महिलायें पुरुषों के बारे में । 

अभी कुछ समय पहले एक किताब का रिकमांडेशन मुझे बार बार मिलता था जिसमें महिलाओं और पुरुषों के मनोवैज्ञानिक तथ्यों के बारे में समझया गया था । अगर आप एक स्वस्थ जीवन चाहते हैं तो आपको भी इन तथ्यों के बारे में जानकारी होनी चाहिए जिससे आप अपने पति पत्नी , दोस्त , बहन , भाई , माता , पिता को अच्छे से समझ सके और फिर उसके अनुसार कोई क़दम उठाए । इससे पहले की उन तत्थो पर नज़र दौड़ायी जाये जॉन ग्रे जो इस किताब के लेखक हैं एक कहानी बताते हैं ।वो कहते हैं मेरी बेटी को पैदा हुए सिर्फ़ सात दिन हुए थे और वो और उनकी पत्नी बानी बुरी तरह से थके हुए थे । बानी की तबियत ख़राब थी और उसे बार बार दवाइयाँ लेनी पड़ती थी ।पाँच दिन के बाद जॉन को लगा की अब बानी ठीक है और वो इसीलिए अपने ऑफ़िस चले गए । जब वो ऑफ़िस में थे तो एक दिन बानी के दर्द की दवाइयाँ ख़त्म हो गयी । बानी ने बजाय जॉन को कहने के उसके भाई को दावा लाने को कहा । भाई भूल गया और लौट के नहीं आया । नतीजन बानी पूरे दिन दर्द में कराहती रही। जॉन जब घर लौटे तो बानी बुरी तरह से चिढ़ी हुई थी और अपनी तकलीफ़ का ज़िम्मेदार वो जॉन को मान रही थी ।

जॉन भी फट पड़े उनका कहना था की बानी को उन्हें फ़ोन करना चाहिए था । दोनो में ख़ूब कहा सुनी हुई और जॉन कमरे को छोड़ कर जाने लगे उन्हें शिकायतें नहीं सुननी थी ।फिर बानी ने कुछ ऐसा कहा की जॉन की ज़िंदगी बदल गयी । बानी ने कहा “ज़रा ठहरो जॉन । प्लीज़ मुझे छोड़ कर मत जाओ । मैं कई दिन से सोई नहि प्लीज़ मेरे पास बैठ कर मेरी बात सुनो ।” उसने कहा “जॉन तुम बहुत मतलबी आदमी हो । तुम केवल अच्छे वक़्त के साथी हो । जब तक मैं अच्छी और प्यारी बानी रहती हूँ तुम मेरे आगे पीछे घूमते रहते हो पर जब मैं परेशान और दुखी होती हूँ तुम मुझे छोड़ कर चल देते हो।” जॉन ने देखा की बानी रो रही थी। जॉन ने उसे अपनी बाहों में लिया वो उसके कंधो पर सर टिका कर रोती रही । उसके बाद जॉन कभी उसे अकेला छोड़ कर नहीं गये । उन्हें उसी वक़्त समझ आया की प्रेम का अर्थ है बिना शर्त के प्रेम। जॉन कहते हैं की उन्हें बानी ने बताया तब उन्हें समझ आया की वो उनसे शिकायतें नहीं कर रही थी बल्कि वो उनका बस समय माँग रही थी । उनकी जगह अगर कोई और महिला होती तो शायद बानी के कहे बिना ही समझ जाती की बानी को क्या चाहिए था । 

जॉन को तब समझ आया की पुरुष और महिला दोनो अलग तरह सोचते हैं और उन्होंने फिर इसपर शोध किया।

1)पुरुष मंगल से हैं और महिलायें शुक्र से :

हम सबसे बड़ी ग़लती ये करते हैं की हम ये मानते हैं कि जैसा पुरुष सोचते हैं वैसा ही महिलायें भी सोचती हैं अख़िर दिमाग़ तो एक ही तरह काम करता है , और यही हम ग़लती करते हैं , पुरुष लॉजिक से सोचते हैं जबकि महिलायें भावना प्रधान होती है । दोंनो कभी एक जैसे नहीं हो सकते । पुरुषों को लगता है ये बात एकदम साफ़ है क्यूँ ये इसे नहीं समझ पा रही। महिलाओं को लगता है की पुरुषों में क्या ज़रा भी हमदर्दी नहि ज़रा भी भावना नहीं ।इसी वजह से बहस शुरू होती हैं । तो जॉन कहते हैं की पुरुष और महिला आपस में उतने ही अलग हैं जैसे मंगल और शुक्र के निवासी एक दूसरे से रंग रूप और सोच में अलग हैं।

2) पुरुषों को सलाह न दे महिलाओं को सुने :

महिलाओं को लगता है की वो पुरुषों को सुधार सकती हैं । महिलायें जिनसे प्रेम करती हैं उसमें हमेशा सुधार की गुंजाइश देखती हैं उन्हें लगता है की उसमें सुधार लाकर वो पुरुष को और उत्कृष्ट बना सकती हैं और इसी लिए वो अपनी सुधार वाली छड़ी लेकर हमेशा पुरुषों के पीछे पड़ी रहती हैं । पुरुष कभी अपनी समस्या को दूसरों के साथ नहीं बाँटता उसे लगता है की जब वो ख़ुद इसे सुलझा सकता है तो किसी और को इसमें शामिल क्यूँ करे । सलाह सुनकर उसके मन पर चोट लगती है की सलाह देने वाला उसे शायद कमज़ोर समझ रहा हो इसी लिए वो कभी किसी की सलाह सुनता ही नहीं क्यूँकि अगर उसने बिन माँगे सलाह को मान लिया तो इससे वो कमज़ोर साबित हो जाएगा । तो चाहे आप महिला हो या पुरुष कभी किसी दूसरे पुरुष को बिन माँगे सलाह दीजिए ही मत क्यूँकि एक तो वो आपकी सलाह सुनेगा तक नहीं और हो सकता है आपसे कटने लगे क्यूँकि वो नहीं चाहता की वो किसी के सामने कमज़ोर साबित हो। तो बेहतर यहीं है की उसके कामों में अपनी टाँग न दीजिए जब तक आपसे वो मदद न माँगे तब तक भूल से भी उसकी मदद न करिए। वही जब पुरुष कही भयानक तरीक़े से फँसता है केवल तब वो किसी व्यक्ति की मदद लेता है । और जिस व्यक्ति से मदद लेता है वो गर्व महसूस करता है की किसी ने उसे इस क़ाबिल समझा की उससे सलाह ली । पुरुषों के लिए ये एक गर्व का विषय है इसी लिए जब महिला कभी अपनी शिकायतें बताती है पुरुष तुरंत अपनी समस्या सुलझाने वाली टोपी लगा कर उसकी समस्याओं का हाल ढूँढने लगता है और यही वो ग़लती करता है । महिलाओं को हल में कोई दिलचस्पी होती ही नहीं क्यूँकि वो भावनाओं से सोचती हैं इसलिए आप बस उनके पास बैठ जाइए उनके कंधो को सहलाइये और उनकी पूरी बात सुनिये न की उन्हें हल बताइए । उन्हें हल की नहीं बल्कि सहनभूति की ज़रूरत होती है । उन्हें गले लगाइए । उनके हाथो को पकड़ कर बस उनकी पूरी बात सुनिए । जितना ज़्यादा आप किसी महिला को बिना कोई हल सुझाए सुनते रहेंगे उतनी ही आप उसके चहेतो में शामिल होते जाएँगे। तो अपने किसी पुरुष मित्र को पति को या किसी भी रिश्तेदार को कभी बिन माँगे सलाह न दे उसे उसके हाल पर रहने दे और इंतज़ार करे की अगर उसे ज़रूरत होगी तो वो बताएगा ही। अपनी महिला मित्र को, पत्नी को , प्रेमिका या किसी महिला रिश्तेदार को कोई हल न सुझाए बस उसे सुने।

3) पुरुष परेशान होते हैं तो चुप हो जाते हैं महिलायें परेशान होती हैं तो ख़ूब बोलती हैं :

पुरुष दिन भर बाहर काम करके आता है सुबह से शाम तक वो किन किन लोगों से निबट के आता है वो अपने घर आता है और कोई अख़बार उठा लेता है या टेलिविज़न में ख़ुद को व्यस्त कर लेता है ताकि दिन भर के तनाव से अपना ध्यान थोड़ा भटका सके। वही महिला दिन भर के काम के बाद चाहती हैं की उनका साथी उन्हें सुने । वो ख़ूब बोलना चाहती हैं। अब पुरुष तो लग गया अख़बार टीवी या फ़ोन में क्यूँकि वो पहले ही पूरा दिन सुनते सुनते ही आ रहा है और महिला को लगने लगता है की अब इसको कोई दिलचस्पी ही नहीं है वो और ज़्यादा बड़बड़ाने लगती है इससे पुरुष को और खीज होती है और फिर दोनो फिर लड़ने लगते हैं। पुरुषों को समझना चाहिए की महिला अगर दिन भर के काम के बाद उससे कुछ बोल रही है तो इसका मतलब ये नहीं की वो उससे शिकायतें कर रही है। और महिला को ये समझना चाहिए की दिन भर के काम के बाद अगर पुरुष कुछ समय शांति से बिता लेना चाहता है तो इसका मतलब ये नहीं है की वो उसमें दिलचस्पी नहीं रखता। जब पुरुष अपना अकेला समय बिता रहा हो तो उसे कुछ समय के लिए अकेला छोड़ दे उसे जो ज़रूरत होगी आपसे माँगेगा ही । पुरुष को चाहिए जब उसका दिमाग़ शांत हो तब जाकर थोड़ी देर के लिए वो अपने जीवनसाथी के साथ बैठे और सिर्फ़ उसे सुने । न उसके बारे में धारणा बनाए ना उसे कुछ हल दे बस सुने ।

4) पुरुष प्रेम की प्रेरणा चाहते हैं , महिलाये प्रेम देते देते थक गयी हैं :

जब भी कोई पुरुष किसी के प्रेम में पड़ता है तो उसमे अचानक से गजब का आत्मविश्वास आ जाता है पुरुष जब भी किसी से प्रेम करता है तो उसे खुद से ज्यादा मानने लगता है और उसका ख्याल रखने लगता है , वही दूसरी और महिलाये प्रेम जताते जताते थक गयी हैं उन्हें लगता है की बस कोई उन्हें प्रेम करे इसीलिए वो खुद को रोक लेती हैं यहाँ तक की वो अपनी जरूरतों को भी पुरुष के सामने रखने से कतराती हैं | इससे पुरुष को संकेत मिलता है की शायद अब सामने वाले को उसकी जरूरत नहीं और वो फिर अपने आपको सामने वाले व्यक्ति से कटने लगता है | पुरुषो की आदत होती है उन्हें जैसे ही लगने लगता है की अब उनकी जरूरत नहीं है वो तुरंत उस व्यक्ति से अलग हो जाना चाहते हैं और महिलाओ को ये लगता है की इसमें अब वो पहली वाली बात नहीं रही वो समझ ही नहीं पाती की क्यों पुरुष ने अब उसका ख्याल रखना छोड़ दिया है | तो महिलाओ को चाहिए की वो अपना प्रेम दर्शाती रहे वो पुरुष को बताती रहे की उन्हें उसकी जरूरत है | प्रेम को आदत न बनाये की वो तो मेरा पति है उसे तो ये करना ही है या उसका तो ये फ़र्ज़ ही है | या वो मेरा भाई है या दोस्त है उसे ये तो मेरे लिए करना ही पड़ेगा | उन्हें ये बताये की वो जो भी आपके लिए कर रहे हैं आपको सच में उसकी जरूरत है इससे पुरुष को लगेगा की आपको उसकी जरूरत है और वो कभी आपसे दूर नहीं जायेगा । इसी तरह महिलाये मांगने में झिझकती हैं और जब मौका पाती हैं तब शिकायते करती हैं जिसे सुन कर पुरुष को लगता है की वो असफल हो रहा है और वो फिर से शांत हो जाता है क्यूंकि पुरुष दुखी हो तो वो एकदम शांत और अलग हो जाता है | पुरुषो को चाहिए की जब महिला कोई शिकायत कर रही हो तो उसे सहानभूति पूर्वक सुने उसे एक सकराकत्मक सोच के साथ देखे और कई सारी छोटी छोटी चीज़े करने के लिए इंतज़ार न करे की जब महिला बोलेगी तो वो करेंगे | जितना हो सके उतना प्रेम जताये क्यूंकि हर कोई प्रेम का भूखा होता है और प्रेम कभी किसी के लिए पर्याप्त नहीं होता और महिलाओ को ये भी जानना जरूरी है की कोई भी देते देते एक न एक दिन थक जायेगा तो अगर पुरुष आपके लिए १० कदम चल रहा है तो २ कदम आपको भी चलने चाहिए ।

5 ) दोनों अलग अलग भाषाएँ बोलते हैं :

पुरुषो और महिलाओ दोनों को समझना चाहिए की एक ही वाक्य का अर्थ पुरुष के लिए अलग और महिला के लिए अलग होता होता है | मसलन महिला कहती है की हम कभी बहार खाने नहीं जाते अब पुरुष को लागत है ये गलत है हम पिछले हफ्ते ही तो गए थे और वो खीज जाता है | जबकि महिला का असल मतलब ये होता है की आज उसे पुरुष के साथ समय बिताने का मन है | तो इस बात पे बहस करने से अच्छा है की हम पिछले हफ्ते गए थे पुरुष उसे कही बहार खाने पे ले जाये ।और भी कई बातें हैं जैसे किसी महिला का कहना की मैं ठीक हूँ एक पुरुष इसे समझता है की सच में महिला ठीक है जबकि उसका मतलब महिला के लिए ये है की मैं ठीक नहीं हूँ मेरे पास ही रुको | वही जब पुरुष कहते हैं मैं ठीक हूँ तो इसका मतलब ये होता है की मैं ठीक हूँ मैं इस समस्या को अपने दम पर ही निबटा सकता हूँ | इसका मतलब महिलाये ये निकल लेती हैं की पुरुष उनपर विश्वास नहीं करते और अपनी समस्याएं साझा नहीं करते | जबकि ऐसा कुछ नहीं | कभी कभी पुरुष महिला से कहते हैं की उसे कुछ देर के लिए अकेला छोड़ दिया जाये | तो उनका मतलब ये है वो कुछ ऐसे में फसे हैं जिसका कोई हल उन्हें सूझ नहीं रहा लेकिन उन्हें विश्वास है की वो कुछ न कुछ कर लेंगे थोड़ा अकेले समय वो सोचने के लिए मांग रहे होते हैं , लेकिन महिला को क्या लगता है अब पुरुष को कोई परवाह नहीं की वो उनसके साथ रहे या न रहे और वो उससे दूर जाना चाहता है | तो महिला को चाहिए की उसे कुछ समय अकेला रहने दे और जब वो वापस आये तो उससे इस बात पर लड़ने की जगह की तुम मुझे अकेला कैसे छोड़ के चले गए, इस बात को पूछे की वो अकेला क्यों गया | इसी तरह जब महिला किसी समस्या में रहती है और कहती है की उसे अकेला छोड़ दिया जाये तो उसका मतलब ये होता है उसे और सहानभूति और प्रेम की जरूरत है और वो बिलकुल नहीं चाहती की उसे अकेला छोड़ा जाये | कभी कभी पुरुष कहता है की वो उस काम में मदद नहीं कर पायेगा लेकिन महिला को लगता है वो वक़्त आने पर पुरुष उस काम में मदद जरूर करेगा और वो अपनी अपेक्षा जोड़ लेती हैं | जब समय आने पर पुरुष मदद नहीं कर पता तो वो दुखी हो जाती हैं | पुरुष को लगता है उसने तो मना कर ही दिया था की वो कोई और हल ढूंढ ले तो अब इस चीज़ के पीछे लड़ने का क्या महत्त्व | उसे लगता है वो अपनी जगह एकदम सही है और इसमें उसकी कोई गलती नहीं | वही दूसरी तरफ जब पुरुष किसी महिला से कुछ मदद मांगता है तो महिला कहती है वो उसकी मदद नहीं करेगी जबकि समय आने पर वो उसकी मदद करेगी ही करेगी | तो पुरुष को धैर्य रखना चाहिए और महिलाओ को बात साफ समझनी चाहिए |

6) पुरुष रबर बैंड जैसे होते हैं महिलायें लहरों जैसी :

पुरुष रबर बैंड जैसे होते हैं जैसे रबर बैंड खींचने पर जितनी लम्बी खिंचती है उतनी ही तेज़ी से वापस आती है वैसे ही पुरुष जिनती दूर जाते हैं उतनी ही शक्ति के साथ वापस आ जाते हैं । तो जब कोई पुरुष आपसे दूर जाता लगे और तो उसे जाने दे उसके सम्पर्क में रहे लेकिन उसे ज़बरदस्ती रोके नहीं । वो अकेला हो जाना चाहता हो तो उसे अकेला छोड़ दे । ये पुरुषों का स्वभाव है और इसमें उनकी कोई ग़लती नहीं होती । पुरुष दूर इसलिए जाते हैं क्यूँकि उन्हें लगता है अधिक अंतरंगता के कारण उनकी स्वतंत्रता ख़तरे में पड़ रही है इसी लिए वो कहते हैं मुझे थोड़ा स्पेस चाहिए मुझे कुछ समय दोस्तों के साथ गुज़ारने दो आदि । अब जब वो दूर जाते हैं तो महिला को लगता है की उनसे कोई ग़लती हो गयी है इसलिए वो ख़ुद पहल करती हैं और पुरुष के को दूर नहीं जाने देती इसी वजह से पुरुष और चिढ़चिढ़ा हो जाता है और बहस होना शुरू हो जाती है । जॉन बताते हैं एक पति पत्नी एक साल साथ रहने के बाद ये महसूस करने लगे थे की अब उन्हें आपस में साथ रहना अच्छा नहीं लगता । ऐसा इस लिए था क्यूँकि दोंनो हर एक काम एक साथ ही करते थे एक पल के लिए भी अलग नहीं होते थे । इस बात को समझने के बाद दोंनो ने एक दूसरे को थोड़ा स्पेस देना शुरू किया और चीज़ें फिर से सही हो गयी । तो महिलाओं को चाहिए की पुरुष को थोड़ा स्पेस दे ताकि वो दूर जाके पूरी ऊर्जा के साथ वापस लौट सके । मसलन जब वो दफ़्तर में काम कर रहा हो तो बार बार उसे फ़ोन करके या मेसज करके तंग न करे बल्कि शाम का इंतज़ार करे वो दफ़्तर का काम निपटा कर पूरे जोश के साथ आपके पास लौटेगा । या जब वो अपने दोस्तों के साथ हो तो उसे बार बार फ़ोन करके कब आओगे कब आओगे न करे उसे कुछ देर अपनी दुनिया में रहने दे । इसी तरह महिला का स्वभाव लहरों जैसा होता । वो एक समय में बहुत ख़ुश होती है और एक समय में वो अचानक से दुखी और निराश हो जाती हैं । पुरुष उन्हें समझने में यही ग़लती करते हैं जब वो शुरू मे महिला से मिलते हैं तो उसे वो ख़ुशमिज़ाज और प्रेम बाँटने वाली लगती है लेकिन जब वो उसके साथ रहने लगते हैं और महिला के दुःख वाला समय आता है तो वो समझ नहीं पाता की अख़िर हुआ क्या । महिलायें एक बार में बहुत ख़ुश होती हैं और अपने उच्चतम बिंदु पर पहुँच कर वापस लौटने लगती हैं और फिर निराशा में उतरती है अपने निम्नतम बिन्दु को छू कर वापस उपर आती हैं । तो जब वो कुँए में उतरती हैं तो पुरुष उन्हें समझने लगता है कि उन्हें दुखी नहीं होना चाहिए या वो उसे सफ़ायी देने लगते हैं की महिला के दुःख में उसका कोई हाथ नहीं । इसी में महिला और चिढ़ जाती हैं । तो जब महिला दुःख के बिन्दु की तरफ़ जा रही हो तो पुरुष को चाहिए की वो बस उसके पास बैठे और सिर्फ़ उसकी बातो को सुने । और महिला को जितना हो सके प्रेम दे उसे सहनभूति दे । फिर अगर महिला खीज रही हो तो उससे चिढ़ने या उससे बहस न करे । थोड़े से धैर्य के साथ अगर दोनो एक दूसरे को समझे तो रिश्ते में खटास आने की संभावनाओं को काफ़ी हद तक कम किया जा सकता है ।

7)बहस :

प्यार में सबसे बड़ी चुनौती होती है बहस की चुनौती ।आपसी झगड़े की चुनौती । दोनो पुरुष और महिला जब बहस में पड़ते हैं तो वो प्रेम भूल कर एक दूसरे को चोट पहुँचाने पर आमादा हो जाते हैं । वो एक दूसरे की कमियाँ निकालते हैं आलोचना करते हैं एक दूसरे के ऊपर दोष देकर अपना केस पुख़्ता बनाते हैं । बहस बड़ी विनाशकारी चीज़  है इससे बचना चाहिए । बिना बहस किए भी आप असहमत हो सकते हैं । हालाँकि की कई लोग बहस से बचने के लिए अपनी शिकायतों को अपने अंदर ही दबा लेते हैं तात्कालिक रूप से आप बहस से बच सकते हैं लेकिन आप एक शीत युद्ध की तैयारी कर रहे हैं जो आगे चल कर ज्वालामुखी के रूप में और भयानक तरीक़े से फूटेगा । बहस के कई कारण होते हैं पैसा , सेक्स , निर्णय , मूल्य , बच्चों का लालन पोषण , घरेलू ज़िम्मेदारियाँ । सतही तौर पर ये कारण होते हैं लेकिन बहस का असली कारण सिर्फ़ इतना होता है की दोनो को लगता है की उनका साथी उन्हें प्रेम नहीं कर रहा या साथ नहीं दे रहा । तो बहस से बचने के लिए दोनो को ये करना चाहिए की आपस में एक निश्चित अंतराल में बात करे । दोनो को अपनी शिकायतें एक दूसरे से करनी चाहिए लेकिन नीची आवाज़ में और दोंनो को एक साथ किसी नतीजे पर पहुँचना चाहिए ।आप बिना चीखे भी किसी से असहमत हो सकते हैं । जब दफ़्तर में आप हर अंतराल पर एक मीटिंग में हिस्सा लेकर अपनी सारी शिकायतें बता सकते हैं और उनका हल खोज सकते हैं तो आपस में एक निश्चित अंतराल पर बात करके क्यूँ नहि । अपनी भावनाओं को दबाइए नहीं ताकि शीत युद्ध की सम्भावनाए न बने ।

8) प्रेम पत्र लिखे :

जब भी आप परेशान होते हैं ऐसे समय में आपके लिए मधुर वचन बोलना सम्भव नहीं होता । ऐसे समय में पति पत्नी एक दूसरे को दोष देने लगते हैं । बातें करने से अगर झगड़ा बढ़ता हो तो एक काम करे शांति से अकेले बैठ कर सामने वाले को प्रेम पत्र या मेसज लिखे । इससे आपको फ़ायदा ये होगा की आपके दिल का ग़ुबार निकलेगा दूसरा आप सामने वाले के लिए अच्छा काम करने के लिए प्रेरित होंगे । चूँकि आपकी भावनायें आपके पत्र में निकल चुकी हैं आपका मूड भी सुधर जाएगा । अपने पत्र में लिखे की आप ग़ुस्सा क्यूँ हैं फिर लिखे की आप दुखी क्यूँ हैं , अब बताए की आपको किस किस चीज़ का डर लगता है , उसके बाद लिखे की आपको किस चीज़ का अफ़सोस है और आप किन चीज़ों की माफ़ी चाहते हैं , और सबसे अंत में लिखे की आप उससे क्यूँ प्रेम करते हैं । इस प्रारूप को अपनाने से होगा ये की पत्र के शुरू में तो आपका साथी ग़ुस्सा करेगा फिर थोड़ा शांत पड़ेगा और पत्र के अंत तक आते आते उसका सारा ग़ुस्सा ख़त्म हो जाएगा । ऐसा कोई पत्र अगर आपका साथी आपको दे तो उसका उत्तर आप भी ऐसे ही एक पत्र के साथ दे ।इन पत्रों को पढ़ कर फेंके नहीं इन्हें संभाल कर रखे या तो अपने कम्यूटर में सेव कर ले ताकि आप इसे फिर कभी पढ़ सके । जब भी आपको लागे की आपके साथी से कुछ झगड़ा होने के आसार हैं तो फिर से वही पुराने पत्र पढ़े आपका आधे से ज़्यादा ग़ुस्सा शांत हो जाएगा ।

9) दोंनो की भावनात्मक ज़रूरतें अलग अलग हैं :

प्यार अक्सर इसलिए असफल होता है क्यूँकि लोग वही देते हैं जो वो पाना चाहते हैं । अब क्यूँकि पुरुष और महिला की अवश्यकताए अलग अलग होती हैं इसलिए वो एक दूसरे को वो नहीं दे पाते जो दूसरे की ज़रूरत होती है । अपने साथी की ज़रूरत को समझ कर उसके व्यवहार को समझ कर अगर समझदारी से दोंनो क़दम उठाए तो एक दूसरे को ख़ुश भी रख पाएँगे और ख़ुद भी ख़ुश रह पाएँगे । दोनो के बीच झगड़े भी कम होंगे और दोंनो एक दूसरे को अधिक  से अधिक प्रेम कर पाएँगे और प्रेम पा सकेंगे ।

10 )सहायता मांगना सीखे :

महिलाये अक्सर सहायता मांगने से कतराती हैं | वो पुरुष को आजमाना चाहती हैं उन्हें लागत यही की जब मैं इसके लिए इतना कुछ कर रही हूँ तो इसे क्यों मेरे बिना कहे कुछ समझ नहीं आता वही दूसरी तरफ क्यूंकि पुरुष का स्वाभाव होता है की बिना मांगे सहायता न करना क्यूंकि उसे खुद जब सहायता मांगनी होती है तो वो सीधे मांग लेता है और बिना मांगे सहायता कोई करे तो पुरुष चिढ जाता है ये उसकी क्षमता पर एक प्रश्न चिह्न हो जाता है | इसी अंतर की वजह से दोनों के बिच दूरी बढ़ती जताई है महिल को लगता है की उनका साथी अब उन्हे प्रेम नहीं करता क्यूंकि वो समझ ही नहीं पता की उसे कब क्या जरूरत है | और पुरुष बेफिक्रे हो जाते हैं की उसे सहायता चाहिए होगी तो मांगेगी ही | एक दिन यही गुबार महिला में भरता जाता है और फिर युद्ध की स्थिति बन जाती है | 

इससे निबटने के लिए महिला को ये तीन चरणों में काम करना चाहिए :

पहला पुरुष से उसी काम के लिए सहायता मांगिये जो वो पहले से आपके लिए कर रहा है | मानिये की वो घर का कचरा बहार फेकता है तो उससे कहिये की प्लीज क्या वो कचरा बहार फेक सकता है अब क्यूंकि वो उस काम को पहले से ही कर रहा है उसे ये करने में जरा भी दिक्कत नहीं होगी और जब वो ये काम पूरा कर ले तो उसकी तारीफ़ करिये | हर वो छोटा काम जो वो आपके लिए कर रहा है उसके लिए उसकी तारीफ करिये | दूसरे चरण में जब आपको लगे की आपने उसकी पर्याप्त तारीफ़ कर दी है तब उसको कुछ उस काम के लिए कहिये जो आप उससे करना चाहती हैं | हो सकता है की वो आपको मना कर दे।, तो ऐसी हालत में बस कहिये ओके उसे ये न दिखाइए की आप कितनी दुखी हो गयी हैं और न ही उसे चार बाते सुनाइए , बस कहिये ओके और उस काम को खुद कर लीजिये अगली बार इसकी बहुत सम्भावना है की जब आप उससे वो काम करने को कहेंगी तो वो उसे पूरे जोश के साथ कर देगा | बस आप उससे आग्रह करे न की आर्डर दे | “क्या तुम ये कचरा बहार नहीं फेक सकते ?” और “प्लीज क्या तुम मेरे लिए इस कचरे को बहार फेक दोगे ?” इन दोनों वाक्यों में पहले वाक्य में आर्डर है | दूसरे में आग्रह है | बेशक वो कचरा बहार फेक सकता है और बार बार फेक सकता है ये उसकी क्षमता में है लेकिन सवाल ये है की क्या वो कचरा बहार फेकना चाहता है ?अधिकतम पुरुष इस चरण के बाद महिला की सहायता करने को तैयार रहते हैं फिर भी अगर बात नहीं बन रही है तो तीसरे चरण में है की आप शांत हो जाये |  

जैसे आपने उससे कुछ कहा मानिये की आप दोनों ही थके हुए हैं और आपने सोने से पहले उससे कहा की प्लीज क्या तुम मेरे लिए स्टोर से जाकर दूध ला सकते हो ?इसमें हो सकता है पुरुष झल्ला जाये और कहे की वो भी थका हुआ है क्या वो खुद जाकर ये काम नहीं कर सकती | पुरुष का बड़बड़ान एक शुभ संकेत है की वो उस काम को करने की सोच रहा है तो महिला को चाहिए की वो शांत हो जाये | थोड़ा बड़बड़ने के बाद इसकी बहुत सम्भावना है की वो उस काम को कर देगा | अब क्यूंकि महिला जब बड़बड़ाती है तो इसका मतलब होता है वो परेशां हो रही है इसी लिए उसे लगता है की पुरुष बड़बड़ा रहा है यानि की वो परेशान है और फिर उसे लगता है मेरे ही काम में इसे परेशानी होती है उसके बाद बहस शुरू हो जाती है महिला आपने हर उस काम को गिनाने लगती है जो उसने पुरुष के लिए किया हुआ है इससे पुरुष जो अभी सोच रहा था की इस काम को कैसे किया जाये झल्ला जाता है और कहता है भाड़ में जाओ अब तो मुझसे ये काम कोई करवा ही नहीं सकता | तो महिला को चाहिए की अगर पुरुष बड़बड़ा रहा है तो शांत हो जाये | जब आप शांत हो जाएँगी तो पुरुष कुछ बड़बड़ा के उस काम को जरूर कर देगा | और जब वो इस काम को कर दे तो उसे ऐसा न दर्शाये की आप जीत गयी बल्कि उसे प्रेम से धन्यवाद कहे और मुस्कुराये | महिलाये अक्सर जब पुरुष से कोई ऐसा काम करवा लेती हैं जिसे उसने शुरू में मन किया था तो उसे ऐसा दर्शाती हैं की देखो मैंने आखिर तुमसे ये काम करवा ही लिया न | इससे पुरुष खीज जाता है और अगली बार वो उसे करने को तैयार हो ही नहीं सकता | इसके बाद भी अगर पुरुष किसी काम को करने के लिए मना कर रहा है तो उसे सकारात्मक तरीके से ले हो सकता है सच में वो थका हो या किसी परेशानी में हो नहीं तो पुरुष जिससे भी प्रेम करते हैं पत्नी, मन ,बहन, दोस्त कोई भी उसके लिए जान तक देने का हौसला रखते हैं।

11 ) प्यार के जादू को जिन्दा कैसे रखे :

प्यार को निरंतर बनाये रखने के लिए दोनों को कुछ बाते समझनी चाहिए जैसे की 90 /10 का सिद्धांत इसका मतलब ये है जब आप उदास होते हैं तो नब्बे प्रतिशत इसका जिम्मेदार आपका अतीत होता है तो इसका प्रभाव अपने वर्तमान पे न पड़ने दे | हो सकता है आप किसी  पुरानी बात को लेके दुखी हो और उसी में आप अपने साथी के साथ बहस कर ले इससे सिर्फ आप लोगो के बिच कडुवाहट ही बढ़ेगी | तो कोई भी प्रतिक्रिया देने से पहले थोड़ा थम जाये फिर तोले उसके बाद ही कुछ बोले | 

कभी कभी प्रतिक्रिया में देर भी होती है ऐसा अक्सर महिला के साथ होता है | जैसे मानिये पुरुष ने महिला से कोई अनुरोध किया महिला उसे तुरंत नहीं मान लेती उसे कुछ समय लग सकता है हो सकता है वो एक हफ्ते ले या दो हफ्ते उसके बाद वो ख़ुशी के साथ तैयार हो जाती है | लेकिन पुरुष को ये लगता है की अब बहुत देर हो गयी उसे लगता है तुमने मुझे एक हफ्ते तक तड़पाया अब तुम मेरे लिए दो हफ्ते तड़पो | आपको ऐसा सोचना बंद करना होगा आपके लिए यही बड़ी बात होनी चाहिए की आपका अनुरोध मान लिया गया है | बदला लेने से आप बस अपने रिश्ते को ख़राब ही करेंगे | तुमने मुझे ये बोला तो अब मुझे इसके प्रति उत्तर में ये बोलना है | शांत रहकर भी आप प्रतिक्रिया दे सकते हैं | बहस ऐसे ही होती है की आपने कुछ बोला फिर उसने कुछ फिर आपने कुछ और बात कही की कही निकल जाती है इससे निबटने का सबसे अच्छा तरीका ये है की जब आपका साथी गुस्से में हो तो उसे बोल लेने दीजिये आप बस शांत हो जाइये जब वो अपने मन की भड़ास निकल चूका होगा तो वो खुद आत्मग्लानि से भर के आपके पास माफ़ी मांगने आएगा | आपको फिर ये नहीं सोचना है की अब आपकी बारी है और आप उसे चार बाते सुना दे आपको बस उसे गले से लगाना है और इतना कहना है चलो कोई बात नहीं | 

प्रेम में हमेशा बसंत हो ऐसा जरूरी नहीं | प्रेम में ग्रीष्म भी आती है प्रेम में सर्दी का भी मौसम आता है | तो आपको हमेशा अपने साथी के साथ अच्छा ही लगेगा ऐसा जरूरी नहीं आपके बीच झगड़े भी होंगे असहमति भी होगी लेकिन अगर आप तब भी अपने साथी के साथ खड़े रहेंगे तो हर झगडे के बाद आपका रिश्ता और प्रगाढ़ होगा | एक दूसरे को समझ कर उनकी अभिव्यक्ति समझ कर और हमेशा अपने अहंकार से ऊपर प्रेम को रख कर अगर आप चलेंगे तो आपके प्यार जादू हमेशा बरक़रार रहेगा | काम से काम आप कोशिश तो कर ही सकते हैं।

                                 हर हर महादेव जय महाकाल 

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