काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग कथा हिंदी में Kashi Vishwanath History and Story in Hindi

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काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग कथा हिंदी में
दोस्तों मैं ज्योतिर्लिंग के ब्लॉक पोस्ट को आगे बढ़ाते हुए आज मैं आप को सातवें ज्योतिर्लिंग के बारे में बताऊंगा यह ज्योतिर्लिंग उत्तर प्रदेश के काशी में स्थित है इसकी कथा इस प्रकार है बहुत समय पहले निर्विकार कथा चेतन परम ब्रह्मा ने निर्गुण से शगुन शिव रूप धारण किया फिर वही वही पुरुष और स्त्री रूप में विभक्त हो गए पुरुषों का नाम शिव तत्व का नाम शक्ति हुआ शिव और शक्ति ने अदृष रहकर प्रकृति और पुरुष की रचना की परंतु पुरुष तत्व जो स्वयं श्री हरि विष्णु है और प्रकृति और उनकी पत्नी माता पिता की अपने आप को देख कर व्याकुल हो उठे कुछ समय पश्चात निर्गुण परमात्मा से आकाशवाणी सुनाई दी तुम दोनों को तपस्या करनी चाहिए फिर तुमसे परम उत्तम सृष्टि का विस्तार होगा प्रकृति और पुरुष को तपस्या के लिए कोई स्थान नहीं मिल रहा था उन्होंने भगवान शिव से प्रार्थना की शिव ने अपने तेज से कुछ लंबे शहर की स्थापना की जिसका नाम पंचकोशी वह नगर आकाश में स्थित हो गया फिर श्री हरि ने सृष्टि की कामना से भगवान शंकर का ध्यान किया इतने परीक्षण के कारण उनकी शरीर से श्वेत जल की धाराएं प्रकट हुई डीजे सारा सुने आकाश व्याप्त हो गया देखकर पुरुष तत्व श्रीहरी आश्चर्यचकित रह गए और इस अद्भुत दृश्य को देखकर अपना सिर हिलाया तो उनके का मणि वहां गिर गई जिससे उस जगह का नाम मणिकर्णिका पड़ गया जब इस वेद जल में पंचकोष नगरी डूबने लगी तब यह देख कर शिव ने उसे अपने त्रिशूल पर धारण कर लिया विष्णु अपने वहीं पर रह गए यही उनकी नाभि से भगवान ब्रह्मा का जन्म हुआ ब्रम्हदेव ने भगवान शिव की आज्ञा से अद्भुत सृष्टि का प्रारंभ कर दिया फिर भगवान शिव ने यह सोचा कि कर्म पास में बने हुए प्राणी मुझे कैसे प्राप्त कर सकेंगे इसलिए पंचकोशी को इस जगत में छोड़ दिया यहां स्वयं शिव ने अविमुक्त ज्योतिर्लिंग की स्थापना की है भगवान विष्णु का एक दिन पूरा होता है उसके पश्चात जब पूरी सृष्टि डूब जाती है तो भगवान शिव पंचकोशी को अपने त्रिशूल पर धारण कर लेते हैं इस तरह से पंचकोशी नष्ट नहीं होता यह कथा काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग की थी।
 
                                                          ॐ हर हर महादेव जय महाकाल ॐ
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